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Salim Khan Biography | सलीम खान की जीवनी |
ओह मुझे बड़ी फिल्मों को आउटडोर की देखो उनको पंद्रह बीस मिनट में आइडिया सुनाया एन उन्होंने कहा राष्ट्रीय बनाएँ वाहन बैठक सलीम खाँन लगाने के बाद बहुत सी फ़िल्में कलर में ट्रांसफर हुई है एक टेक्नोलॉजी से अगर कुछ बेहतर बनती है तो वह शमीम ख़ान साहब का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर और शहर में चौबीस नवम्बर
सन् में हुआ ब्रिटिश राज़ के दौरान सलीम खाँन साहब के वाले एक पुलिस ऑफिसर थे और इनके बचपन में ही इनकी माताजी का इंतकाल हो गया था इनकी माँ टीवी से पीड़ित थे अनन्य सलीम को उनकी माँ से मिलने की
इजाज़त नहीं थी कुछ धुंधली यादें जरूरत के जेहन में रही और वह दर्द की शमीम ख़ान साहब एक अच्छे खासे परिवार से थे गाड़ी चलाते थे और कॉलेज में मशहूर क्रिकेट थे सभी लोग इनसे मचाते थे और उनकी पर्सनालिटी
देखते ही बनती थी हालांकि इनका ऐक्टिंग भी फास्ट लेना देना नहीं था पर किस्मत ने एक्टिंग की तरफ नहीं गयी एक साथी के दौरान मशहूर एक्टर अमरनाथ में सलीम ख़ान साहब पर गौर फरमाया और कहा कि तुम एक
अच्छे खासे नौजवान हो जो नहीं मुंबई आते और मेरी फ़िल्म में बतौर एक्टर काम करते हैं सलीम खाँन जहाँ थोड़ा हैरान जरूर हुए लेकिन जब उन्हें पता चला तीन चार सौ रुपये महीने की तनख्वाह पर भी रखने को तयार है
अमरनाथ साहब और एक्टिंग अपने आप में एक अलग चीज़ है तो सलीम खाँन मुंबई जाने के लिए तय्यार हो गए जब स्टेशन पर मुझे तब इनके साथ ऐसा हादसा हुआ कि उन्होंने मन बना लिया की नाकाम होकर घर नहीं
आएँगे इनके भाई ने उनसे कहा कि वहाँ जाते रहे मुंबई लेकिन बार बार खतना लिखना मेरे पास पैसे खत्म हो गए हैं मुझे वापस बुला लो या फिर पैसे भेज दें जब यह बात सलीम खाँन के कानों पर पड़ी तो उन्होंने यह इरादा
पक्का कर लिया कि अब तो कुछ करके दिखाना ही होगा कुछ वक्त के छोटे से गेस्ट हाउस में रहे और उसके बाद इनका करियर शुरू हुआ फिर मैं मजबूर नहीं हो रही थी और छोटे मोटे किरदार निभाते हुए उन्हें सात साल बीत गए थे फ़िल्म तीसरी मंजिल सरहदी लूटेरा दीवाना में इनके किरदार को पसंद जरूर किया गया पर ये कोई
ख़ास काम न कर सके साठ का दशक बीतता जा रहा था और शरीर खाँन असफलता के पायदान ऊपर जा रहे थे ये वो वक्त था जब महान अभिनेता अज़ीज़ ग्राहक के पास भी रहे सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है असफलता देखने के बाद सलीम खां साहब ने ये फैसला किया कि वह बतौर राइटर काम करेंगे मतलब ये नहीं जानते थे कि इनकी जोड़ी जावेद अख्तर साहब के साथ बनेगी और सलीम खां वे इतिहास रच देंगे हमको
पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सलीम जावेद अख्तर बारह साल तक एक दूसरे के साथ काम करते रहे और इस बीच उन्होंने एक से बढ़कर एक फ़िल्में दीं यादों की बारात सजीरा हाथ की सफाई दिवा सोलह ग्राम थी इस तरह दिया तुने रूप में मिलावट हुआ
Salim Khan Biography