Pran Biography in Hindi | अभिनेता प्राण की जीवनी | Bollywood Actor Pran Son Sunil Sikand
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Pran Biography in Hindi | अभिनेता प्राण की जीवनी | Bollywood Actor Pran Son Sunil Sikand |
Pran Biography in Hindi
गुजरात बताओ मुझे पूछना मेरे एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने हमेशा कहा मैं अभी पुराना चिड़ीमार हूँ पर कतरना अच्छी तरह से जानता हूँ जिनका नाम ही लोगों को डरा देता था उन्होंने अपने बच्चों का नाम प्राण रखना बंद कर दिया था हम बात कर रहे हैं नजरिया पर प्रांत किशन शिकायत की लेकिन ही मेरा दिल तेरी दिल्ली नजरिया बहुत गुजरिया वह बाएं जाने से जारी नजरिया आँखें भी भीग मुझे लिखना चाहता था मैं यहाँ बहुत कमा
लिया ध्यान साहब का जन्म पुरानी दिल्ली के कोटगढ़ इलाके में हुआ था इनके पिता एक सिविल इंजीनियर है और गवर्नमेंट के साम्राज्य में काम किया करते थे उनकी माता जी का रामेश्वरी था प्राण साहब दरअसल एक प्रोफेशनल फोटोग्राफर बनना चाहते थे लेकिन बन गए एक्टर ने उन लोगों में सुना नहीं मिला अगर समझने की कोशीश नहीं करते कि आपका पैसा निरीक्षण दो मिल के साथ दुनिया उलट तुम्हारे खयाल से सत्तर करोड़
हासिल करने के लिए आज नहीं तो क्या पानी से खेलना पड़ेगा तब मिल जाने दो तो दुनिया के हर में हमारे कदमों में नाच रही हूँ एक किस्सा मशहूर है कि प्रांत साथ एक बार की दुकान पर पान खा रहे थे तभी वहाँ पर राइडर बली मोहम्मद अली पहुंचे और उन्होंने कहा कि तुम फिल्मों में एक्टिंग करोगे तो प्रान्त सामने कहा कि वह मजाक कर रहे हैं साथ में पान खाने आया हूँ लेकिन बली मोहम्मद अली ने कहा के पास एक रोल है और तुम्हे उसने
काम करना होगा या पंजाबी फ़िल्म थी जिसे बनाया था दलसुख पंचोली ने फ़िल्म का नाम था जब राजघाट सन में इस फ़िल्म का निर्माण हुआ ये वो था जब प्राण साहब लाहौर में रहा करते थे और लाहौर की फ़िल्म इंडस्ट्री में प्राण साहब ने अपना अच्छा खासा नाम बना लिया था लेकिन सन् उन्नीस सौ सैंतालीस में जो पार्टिशन हुआ तो प्राण साहब लाहौर से मुंबई आ गए लें कृप्या इस बात की क्या गारंटी है कि इतना पैसा लेकर आप बेमानी बना
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लेती है पता नहीं करता है तो क्या पर बलमानी वितरित की गई जो प्रांत साहब एक मशहूर मारुत आकर थे लाहौर फ़िल्म इंडस्ट्री में लेकिन मुंबई ने उन्हें काम नहीं मिल रहा था हालात इस कदर ख़राब हो गए थे कि फ्रांस आप सोच रहे है कि वह अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे उर्दू के मशहूर अफ़साना निगार साथ हसन मंटो की मदद से प्राण साहब को बॉम्बे टॉकीज की फ़िल्म सदी में काम मिला जब वक्त जब प्रान्त सात के पास लोग ट्रेन से ट्रैवल करने के लिए पैसे नहीं थे और अपने घर से बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो पहुंचने के लिए रान चाहत में
सुबह सवेरे की लोकल ट्रेन पकड़ी थी ताकि कोई टिकट चेक कर उनसे कितना मान गए प्रांत साहब को जब जरूरत न पड़े आप तूफ़ान सामने कहा कि मुझे आप एडवांस पैसे दे दीजिए ताकि मैं अपना काम शुरू कर सकूँ फ़िल्म सिटी प्रांत साथ के साथ थे देव आनंद और कामनी कौशल जिससे डायरेक्ट किया था शाहिद लतीफ ने दिल को