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CAB या Citizenship Amendment Act 2019 क्या है जिसे | Citizenship Amendment Bill 2019 जानिए क्या |
नागरिकता संशोधन विधेयक दो हज़ार उन्नीस यानी सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल दो हज़ार ग्यारह दिसंबर को राज्यसभा से पास हो गया राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में और विरोध में एक सौ पांच फूट पड़े गृह मंत्री अमित
शाह ने ये दिन नौ दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था लोकसभा में इस बिल के पक्ष में तीन सौ वोट पड़े थे वहीं विरोध में अस्सी वोट पड़े थे अब इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा मंजूरी मिलने के बाद यह बिल कानून की शक्ल ले लेगा जनवरी दो हज़ार उन्नीस में सरकार ने दिल को कानून में बदलने की
कोशीश की थी आज जनवरी दो हज़ार उन्नीस को लोकसभा से बिल पास हो गया था लेकिन सोलहवीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने की वजह से ये दिल हो गया इस बिल को नागरिकता कानून उन्नीस सौ पचपन में
संशोधन करने के लिए लाया गया है नागरिकता कानून उन्नीस सौ पचपन के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को भारत में जन्में होने माता पिता की भारतीय होने या फिर किसी भारतीय नागरिक से शादी करने पर नागरिकता मिल
सकती है इसके अलावा कुछ निश्चित समय तक भारत में रहे और कुछ जरूरी कानूनी शर्तें पूरी करने पर भी भारत की नागरिकता हासिल की जा सकती है जिनके पास यहाँ रहने का कानूनी हक नहीं है उन्हें विदेशी
नागरिक अधिनियम उन्नीस सौ छियालीस और पासपोर्ट तहत वापस उसके देश भेज सकती है सरकार सरकार चाहे तो उसे जेल में भी रख सकती है इस वीडियो में हम आपको बताएंगे कि नागरिकता संशोधन विधेयक दो
हज़ार उन्नीस है क्या आखिर इसमें ऐसा क्या हैं जिसपर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है और इसका असर के लोगों पर पड़ेगा हम सब जानते हैं आसान भाषा में सबसे पहला सवाल नागरिकता संशोधन विधेयक दो हज़ार उन्नीस
क्या दरअसल पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान की संख्या जो अपने देश में धार्मिक आधार पर प्रभावित हुए हैं और भारत में आकर रह रहे हैं इस बिल में उन्हें भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है पाकिस्तान
बांग्लादेश और अफगानिस्तान की संख्या को में हिन्दू एक ईसाई बहुत जैन और पारसी धर्म के लोग शामिल हैं जो फिलहाल भारत में या तो अवैध प्रवासी हैं यह सुनाती है कानून बनने के बाद यह भारत के नागरिक बनने के बाद हो जाएंगे इसके अलावा इस फ़िल्म के विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिक को यानी ओवर सीरीज में
इंडिया जो है उनका जो खुशी आई कार्ड हैं उसे कैंसिल करने के लिए भी कुछ प्रावधान जोड़े गए हैं अब अगर कोई ओसीआई कार्ड धारक केंद्र सरकार होंगे नागरिकता अधिनियम के तहत बीते चौदह साल से ग्यारह साल भारत में बिताने और बीते बारह महीनों से लगातार भारत में रहने की जो शर्तें पहली थी उसने दिलाई की गई है दो हज़ार उन्नीस के संशोधन के बाद पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू सिख बौद्ध जैन
पारसी और ईसाई धर्म के लोगों के लिए ग्यारह साल भारत में बिताने की शर्त को घटाकर छह साल कर दिया गया है हालांकि पूर्वोत्तर