मोहम्मद ज़हूर हाशमी का जीवन परिचय Mohammed Zahur Khayyam Biography in Hindi | मोहम्मद जहूर खय्याम की जीवनी
![]() |
मोहम्मद ज़हूर हाशमी का जीवन परिचय Mohammed Zahur Khayyam Biography in Hindi | मोहम्मद जहूर खय्याम की जीवनी |
साल नंबर वन डे तो थ्री ये दास्तां है महान संगीतकार हम्म जरूर है कि आम हाश्मी की जिन्हें हम हरयाणवी साहब के नाम से जानते हैं इन आदतों में हथियार बिक्री मूल्य पत्रिकाएं जहाँ तक बदलाव किया आग्रह है आधारों में अनुभव होता आगे कहा बनाम मेहनत हुए थे कहाँ तक खेलना क्या बुरा है गजन हुआ अठारह फरवरी सन् उन्नीस सौ सत्ताईस राहु में ये पंजाब का एक इलाका है ये बात कोई नहीं जानता था कि नन ने दिखाया साहब के
एल सहगल के दीवाने हो जाएंगे इस चक्कर में फ़िल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बनना चाहेंगे और उसके बाद एक छोटे से केलिए फौज का हिस्सा बनेंगे और द्वितीय विश्व युद्ध का हिस्सा बनेंगे हम साहब बचपन में ही महान अभिनेता और गायक केएल सहगल के दीवाने थे ये कोई नहीं जानता था कि दीवान की सर्विस तरह से चढ़ जाएगी ये अपना घर छोड़कर अपने चाचा जान के पास भागकर आ जाएंगे राहु से दिल्ली चले आए और जब इंतज़ार पूछा
Mohammed Zahur Khayyam Biography in Hindi
![]() |
Mohammed Zahur Khayyam Biography in Hindi |
कि तुम अकेले क्यों आए हो तो उनके पास कोई जवाब नहीं था इस बात पे इन्हें एक थप्पड़ भी पड़ा खुशकिस्मती से दादी जान वहाँ मौजूद थी इसलिए खयाल से आपको बचा लिया गया जब उन्होंने बताया कि मैं तो दरअसल खेल साइकिल बनना चाहता हूँ तब इनकी संगीत की शिक्षा शुरू हुई इनके साथ रहे पंडित अमरनाथ और पंडित जगन्नाथ की तुलना में कहीं भी दुनिया कि वह दिल्ली में मैं तुम्हें अपने व्यापारिक आनी कहा नहीं खाया साहब
फिल्मों में काम करना चाहते थे बतौर अभिनेता स्क्रीन पर नजर आना चाहते थे इसी सिलसिले में ये पहुँच गया था और उस जमाने में लाहौर में बहुत से मैं बनाई जाती थी जब भाषण की मुलाकात हुई उस जमाने के मशहूर मारो संगीतकार बाबा चिश्ती से किसी बाबा की म्युजिक रूम में पहुंचे और देखा कि सस्ती बाबा पियानो बैठकर संगीत बना रहे हैं बहुत से इसके टुकडे उन्होंने बनाएँ और उसके बाद अपने सचिंद्र पटेल से पूछा अरे भाई
टुकड़ा कौनसा था मैं भूल गया हूँ ज़रा याद दिलाओ सभी ने कहा कि आपने इतने सारे टुकड़े बनाएँ हमें याद नहीं उसी कमरे में कोने में खड़े थे नौ अंखिया उन्होंने कहा यदि आप कोई ऐतराज न हो तो मैं बताता हूँ टुकड़ा कौनसा था पहले तो उन्हें डांट पड़ी पिछली बाबा ने कहा कि कौन हो तुम कैसे बगैर इजाजत हमारे कमरे में चले आए उन्होंने कहा कि आपके दीदार करते थे इसलिए यहाँ आया हूँ कितना बड़ा टुकड़ा कौनसा था उन्होंने टुकड़ा
Mohammed Zahur Khayyam Biography in Hindi
भी बताया और उस म्यूजिकल फ्रिज की सरगम भी बना के दी चुनौती बाबा इनके काम से बड़े मुतासिर हुए खयाल से आपने अच्छा है कि ये फिल्मों में बतौर एक्टर काम करना चाहते हैं मैने कहा वो भी हो जाएगा लेकिन उससे पहले मेरे साथ बतौर असिस्टेंट काम करना शुरु करो ऐसा बताया गया कि खयाल से अब तक मात्र सत्रह वर्ष के करीब थे जिसे बाबा के साथ उन्होंने कुछ काम किया और फिर ये लुधियाना चले जाए